भानगढ़ (मुहब्बत या श्राप)
इतिहास
इस कहानी को पढने से पहले आप सभी
लोगों को इस कहानी में प्रयुक्त किए गए स्थान के बारे में कुछ जानकारी देना आवश्यक
है, इसलिए कहानी को शुरू करने से पहले मै इस कहानी के स्थान के बारे में संक्षिप्त
विवरण प्रस्तुत कर रहा हूँ!
ये कहानी है राजस्थान के अलवर में
स्थित भानगढ़ किले की है। दोस्तों इस किले को दुनियाँ का सबसे डरावना किला भी कहा
जाता है। लेकिन ऐसा क्यूँ वो भी मैं आपको इस कहानी के माध्यम से बताऊंगा।
भानगढ़ किले की तबाही का कारण:
पौराणिक कथाओ और लोगों द्वारा ऐसी
मान्यता है की उस सदी में भानगढ़ किला अत्यंत ही मनमोहक शैली का उदाहरण हुआ करता
था, यदि ऐसा था तो ऐसा क्या हुआ की इतना सुन्दर और मनमोहक किला एक खंडर में तब्दील
हो गया।
मान्यताओं के अनुसार माना जाए तो
कहा जाता है कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बेहद खूबसूरत थी। उस समय उनके रूप की
चर्चा सम्पूर्ण राज्य में थी और सम्पूर्ण देश के राजकुमार उससे विवाह करने के इच्छुक
थे।
उस समय कई राज्यो से उसके लिए
विवाह के प्रस्ताव आ रहे थे। उसी दौरान वो एक बार किले से अपनी सखियों के साथ
बाजार में निकली थीं। राजकुमारी रत्नावती एक इत्र की दुकान पर पहुंची और वो
इत्रों को हाथों में लेकर उसकी खुशबू ले रही थी। उसी समय उस दुकान से कुछ ही दूरी
एक सिंघीया नाम व्यक्ति खड़ा होकर उन्हे बहुत ही गौर से देख रहा था।
सिंघीया वो व्यक्ति था जिसे काला जादू करने में महारत हांसिल थी। ऐसा माना जाता है कि वो राजकुमारी के रूप का दिवाना हो गया, और मन ही मन प्रेम कर बैठा । उसने किसी भी तरह राजकुमारी को हासिल करने का मन बना लिया। इसलिए उसने उस दुकान के पास आकर एक इत्र की बोतल जिसे रानी पसंद कर रही थी। उसने उस बोतल पर काला जादू कर दिया उसने ऐसा राजकुमारी को अपने वश में करने के लिए किया था। राजकुमारी रत्नावती ने उस इत्र की बोतल को उठाया, लेकिन उसे वहीँ पास के एक पत्थर पर पटक दिया। पत्थर पर पटकते ही वो बोतल टूट गयी और सारा इत्र उस पत्थर पर बिखर गया। इसके बाद से ही वो पत्थर फिसलते हुए उस तांत्रिक सिंघीया के पीछे चल पड़ा और तांत्रिक को कूचल दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयी। मरने से पहले उसने राजकुमारी को शाप दिया कि इस किले में रहने वालें सभी लोग जल्द ही मर जायेंगे और वो दोबारा जन्म नहीं ले सकेंगे और ताउम्र उनकी आत्माएं इस किले में भटकती रहेंगी।
भानगढ़ (मुहब्बत या श्राप)
उस तांत्रिक की मौत के कुछ दिनों के बाद ही भानगढ का युद्ध पास ही के एक राज्य से हुआ जिसमें किले में रहने वाले सारे लोग मारे गये। यहां तक की राजकुमारी रत्नावती भी उस शाप से नहीं बच सकी और उसकी भी मौत हो गयी। इतने बड़े कत्लेआम के बाद वहां का मंजर बड़ा ही भयावक हो गया, हर तरफ बस चींखने और रोने की आवाजें सुनाई देने लगी, और देखते ही देखते वो खुबसूरत जगह किसी भयावक खंडर में बदल गई, माना जाता है कि आज भी उस किले में उस समय मारे गए लोगों की रूहें घुमती हैं।
भानगढ़ (मुहब्बत या श्राप)
कहानी का
पहला अध्याय:
अब तक अपने जो पढ़ा वो केवल मेरी
कहानी को शुरू करने से पहले उस कहानी को क्यूँ लिखा जा रहा है, उसके बारे में
बताने के लिए लिखा गया था। ये कहानी उन कथाओं या कहानियों से कोई सम्बन्ध नहीं
रखती है परन्तु, कहानी को समझने के लिए ये उपरोक्त कहानी आपको बताना जरुरी था।
जो अपने पढ़ा वो सब कुछ लगभग सत्रहवी सदी की गाथा
थी। और जो मेरी कहानी है ये 21 वीं सदी की कहानी है।
दोस्तों शायद आज के समय में लोग
प्रेत आत्मा पर विश्वास नहीं करते है, किन्तु कहा जाता है, कि यदि दुनियां में परमात्मा
है तो आत्मा भी है|
कहानी में मुख्तय: तीन पात्र है,
जिनका विवरण आगे कहानी के साथ किया जाएगा, ‘अंजली’ कहानी का मुख्य पात्र। जो
राजस्थान के ही जयपुर जिले में अपने परिवार के साथ रहती है, जिसकी अभी शादी नहीं
हुई है।अपने दोस्तों और सहेलियों के साथ मौज मस्ती करने में उसे बड़ा मजा आता है,
उसी की स्कूल की एक सहेली गीता उस के घर
के पास रहती है, दोनों अक्सर साथ में समय बिताया करती है।
गर्मियों का समय प्रारंभ हो गया
था, मई- जून की चिलचिलाती गर्मी ऐसी की गले में डाला पानी कंठ तक जाते जाते सूख
जाए। अनीता अपने घर में बैठ कर टीवी देख रही थी, अनीता को भूतों की कहानी या
फिल्मे देखना बहुत पसंद था।
सायं का समय हो चला था, और अब
सूरज भी अपनी रौशनी कुछ कम करने लगा था। अनीता ने गीता को फ़ोन करने अपने पास
बुलाया।
‘‘क्या हुआ आज कैसे सायं को याद
कर लिया महारानी जी’’ गीता हँसतें हुए फ़ोन पर अनीता को जबाब देती है।
‘‘ओह्ह जैसे तो तू रोज मुझे ही
याद करती है ना, मैडम जी’’ अनीता थोडा इतराते हुए।
‘ओह्ह्ह तो अब मैं मैडम हो गई,
वाह पता ही नहीं चला’’
‘ये सब बातें छोड़, अच्छा सुन, यार
कहीं घूमने का मन कर रहा है, चलना कहीं चलते है’’ अनीता गीता से अपनी चहकते हुए अपनी
इच्छा जाहिर की।
तू पागल है क्या? ऐसी गर्मी में
तुझे घुमने का मन कर रहा है, पता है ना बाहर दिन में निकले तो खड़े खड़े ही जल
जायेगें, और मेरा रंग भी तो काला हो जाएगा। ‘हँसते हुए गीता ने कहा’’
‘यार कौनसा मर जायेगी तू इस गर्मी
में, और पहले से ही तू बड़ी गौरी है ना जो काली हो जायेगी, चलना यार मजे करेंगे, दो-तीन
दिन कही चलते है, वैसे भी कुछ दिनों में बरसात शुरू होने वाली है, मजा आएगा यार’’
अनीता ने बड़ी मीठी आवाज में कहा।
‘वो तो ठीक है, लेकिन चेलेगी
कहाँ, और घर पर क्या कहेंगे, दो दिन घर से बाहर कैसे रहेंगे? क्या बताएँगे उनको की
कहाँ जा रहे है।’’ थोड़ी अचरज भरी आवाज में गीता ने पूछा।
‘तू उसकी चिंता मत कर तू बस तैयार रहना मैं कुछ ना कुछ कर लूंगी’’, अनीता गीता को समझाते हुए कहती है।
भानगढ़ (मुहब्बत या श्राप)
‘पर चलेंगे कहाँ ये तो बता?’’ गीता ने फिर से अपना सवाल दोहराया
वो तुझे वहां जाने के बाद ही पता चलेगा। चिंता मत कर बहुत मस्त जगह है, लोग दूर दूर से वहां घुमने आते है। अनीता ने हस्ते हुए गीता के सवाल का जबाब दिया।
‘पर सिर्फ तू और मैं ही चलेंगे क्या वहां?’
भानगढ़ (मुहब्बत या श्राप)
Author Pawan saxena
14-Mar-2021 10:47 PM
👍👍👍
Reply
Roshan sharma
14-Mar-2021 09:27 PM
Shukriya aap sab ka
Reply
Monis Ansari
14-Mar-2021 06:35 PM
बहुत खूब भाई
Reply